प्रधानमंत्री
धन धान्य कृषि योजना 2025: किसानों
के सशक्तिकरण की नई दिशा
भारत
एक कृषि प्रधान देश
है और यहाँ की
अर्थव्यवस्था का मूल आधार
कृषि को ही माना
जाता है। देश की
अधिकांश आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है
और सीधे तौर पर
खेती से जुड़ी हुई
है। ऐसे में यदि
किसान मजबूत होगा तो देश
की नींव भी मजबूत
होगी। इसी सोच को
ध्यान में रखते हुए
केंद्र सरकार ने किसानों की
आय बढ़ाने और उन्हें नई
तकनीक से जोड़ने के
उद्देश्य से प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (PM Dhan Dhanya Krishi
Yojana) की शुरुआत की है। इस
योजना को जुलाई 2025 में
कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई और
इसे आने वाले छह
वर्षों (2025-26 से 2030-31 तक) लागू किया
जाएगा। योजना की कुल अवधि
छह वर्ष है और
इस पर लगभग 1.44 लाख
करोड़ रुपये का व्यय प्रस्तावित
है।
इस योजना का सबसे बड़ा
उद्देश्य कृषि क्षेत्र को
मजबूत करना और खासतौर
पर उन जिलों में
किसानों को सशक्त बनाना
है। सरकार ने देश के
100 जिलों का चयन इस
योजना के लिए किया
है और इन्हें विकास
की मुख्य धारा से जोड़ने
का लक्ष्य रखा गया है।
हर राज्य और केंद्र शासित
प्रदेश से कम से
कम एक जिला इस
योजना के अंतर्गत शामिल
होगा।
योजना
से लाभान्वित किसान
सरकार ने अनुमान लगाया है कि इस योजना से लगभग 1.7 करोड़ किसान परिवार सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। इनमें छोटे और सीमांत किसान प्रमुख होंगे, क्योंकि भारत की कृषि भूमि का अधिकांश भाग इन्हीं के पास है। छोटे किसानों को सिंचाई, बीज, खाद और बाजार जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इसलिए योजना का फोकस इन्हें राहत पहुँचाना है।
| योजना की अवधि और बजट |
|---|
| इस योजना को छह वर्षों की अवधि (2025-26 से 2030-31) तक लागू किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने कुल 1.44 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। हर वर्ष लगभग 24,000 करोड़ रुपये इस योजना पर खर्च किए जाएंगे। |
| यह राशि केंद्र सरकार द्वारा प्रतिवर्ष राज्यों को उपलब्ध कराई जाएगी और राज्य सरकारें इसे अपने जिलों में योजनाओं को लागू करने के लिए उपयोग करेंगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पैसा सीधे किसानों और परियोजनाओं तक पहुँचे तथा बीच में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो। |
योजना
का उद्देश्य
प्रधानमंत्री
धन धान्य कृषि योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की उत्पादकता और आय में वृद्धि करना है। इसके लिए सरकार ने कई प्रमुख लक्ष्यों को निर्धारित किया है:
- फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना ताकि किसान केवल गेहूँ-धान तक सीमित न रहें।
- सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और आधुनिकीकरण करना।
- फसल भंडारण और कोल्ड-स्टोरेज की सुविधाओं का विकास करना।
- किसानों को अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- Connecter
les किसानों
को नई तकनीक, आधुनिक कृषि उपकरण और प्रशिक्षण से जोड़ना।
- ग्रामीण युवाओं के लिए कृषि आधारित रोजगार के अवसर पैदा करना।
सरकार
का मानना है कि यदि इन सभी बिंदुओं पर काम किया गया तो किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और देश की खाद्य सुरक्षा भी और अधिक मजबूत होगी।
देश
की खाद्य सुरक्षा भी और अधिक मजबूत होगी।
किसानों को होने वाले लाभ
- बेहतर सिंचाई सुविधाएँ मिलने से उत्पादन बढ़ेगा।
- आधुनिक कृषि उपकरणों और तकनीक से खेती आसान और लाभकारी बनेगी।
- भंडारण और कोल्ड स्टोरेज की सुविधा मिलने से किसानों को उचित दाम मिलेगा और फसल खराब होने का डर कम होगा।
- ऋण सुविधा मिलने से किसान महाजनों पर निर्भर नहीं रहेंगे।
- बाजार तक सीधी पहुँच मिलने से बिचौलियों की भूमिका घटेगी और किसानों को सही मूल्य मिलेगा।
- रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, जिससे ग्रामीण युवाओं का पलायन भी रुकेगा।
योजना की मुख्य विशेषताएँ
100 कृषि-पिछड़े जिले शामिल – देश के हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश से कम से कम एक जिला शामिल होगा।
- 11
मंत्रालय और 36 योजनाओं का समन्वय : यह योजना अलग से नई स्कीम नहीं है, बल्कि मौजूदा 36 योजनाओं को जोड़कर एकीकृत रूप में लागू की जाएगी।
- डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम : प्रत्येक जिले की प्रगति की निगरानी 117 मुख्य संकेतकों (Key
Performance Indicators) के
आधार पर की जाएगी।
- जिला स्तर की समिति – हर जिले में “जिला धन-धान्य समिति” बनाई जाएगी, जो स्थानीय स्तर पर योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी संभालेगी।
- राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय निगरानी – उच्च स्तर पर भी कमेटियाँ बनाई जाएँगी, जो यह सुनिश्चित करेंगी कि योजना पारदर्शी और प्रभावी ढंग से चल रही है।
योजना का क्रियान्वयन ढांचा
इस योजना को सफल बनाने के लिए सरकार ने एक मज़बूत ढांचा तैयार किया है।
- जिला स्तर पर – "जिला धन धान्य समिति" कार्य करेगी, जिसमें जिला कलेक्टर, कृषि अधिकारी और पंचायत प्रतिनिधि शामिल होंगे।
- राज्य स्तर पर – एक राज्य स्तरीय समिति बनेगी जो जिले की प्रगति पर निगरानी रखेगी और केंद्र को रिपोर्ट देगी।
- राष्ट्रीय स्तर पर – एक उच्चस्तरीय निगरानी समिति बनेगी जो संपूर्ण योजना के क्रियान्वयन पर नज़र रखेगी और डिजिटल डैशबोर्ड के माध्यम से मासिक रिपोर्ट जारी करेगी।
किसानों के जीवन में बदलाव
योजना से ग्रामीण भारत में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है. जिन जिलों को अब तक कृषि के क्षेत्र में पिछड़ा माना जाता था, वहाँ आधुनिक तकनीक पहुँचेगी और किसान भी आत्मनिर्भर बनेंगे। इससे गाँवों की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और देश की खाद्य सुरक्षा को भी बल मिलेगा।
किसान केवल परंपरागत फसलों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि फल, सब्जी, दाल, तिलहन और नकदी फसलों की ओर भी बढ़ेंगे। इससे उनकी आय कई गुना तक बढ़ सकती है।
चुनौतियाँ
हालांकि योजना महत्वाकांक्षी है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
- राज्यों और केंद्र के बीच बेहतर तालमेल जरूरी होगा।
- भ्रष्टाचार और धन के दुरुपयोग पर नज़र रखनी होगी।
- किसानों को नई तकनीक अपनाने के लिए प्रशिक्षित करना होगा।
- जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं जैसी समस्याओं का समाधान खोजना होगा।
यदि इन चुनौतियों का समाधान किया गया तो योजना किसानों के जीवन में ऐतिहासिक परिवर्तन ला सकती है।
2 Comments
hii
ReplyDeletehello
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